Maa Sumitra Devi Jain Memorial Educational Society


Name Occupation Designation
Sh. Phool Chand Jain Businessman Chairman
Sh. Rajneesh Jain Businessman Vice-Chairman
Sh. Suman ChanderDhir Businessman Vice-President
Sh. Kuldip Raj Jain Service Finance Secretary
Swatanter Kumar Jain Service Secretary
Sh. Rakesh Kumar Jain Businessman Joint Secretary
Sh. Gia Dutt Prashar Businessman Director
Sh. Anil Kumar Jain Businessman Director
Sh. Devinder Kumar Jain Businessman Director
Narinder Kumar Jain Retd. Teacher Director
Sh. Sushil Kumar Aggarwal Businessman Director
Sh. Praduman Lai Subhra Retd. Teacher Member
Sh. Dharampal Ji Retd Teacher Member
Deepak Dhir Ji Businessman Member

Letter From President


प्रिय अभिभावक,
        सादर नमस्कार !


      आज मैं अपने विचार आपके साथ सांझे करना चाहता हूं कि भगवान महावीर पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल शुरू करने का वास्तविक उद्देश्य क्या है और हम अपने बच्चों को स्कूल में क्या पढ़ाएं?
         हम अभिभावक अपनी संतान को अच्छा डॉक्टर, अच्छा वकील, अच्छा इंजीनियर, अच्छा आईएएस अधिकारी बनाना चाहते हैं, लेकिन अपनी संतानों को अच्छा इंसान बनाना नहीं चाहते। अच्छे व्यक्ति का होना अच्छे संस्कारों पर निर्भर करता है| हमें अपने बच्चों को यह बताना होगा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका का साधन मात्र ही नहीं है, वरन जीवन में निखार लाने वाली साधना भी है| अगर आप अपनी संतानों को जीवन जीने की कला सिखाते हैं, तो उनमें आप को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कारों का भी चिंतन करना होगा, क्योंकि शिक्षा और संस्कार में बहुत फर्क होता है| जहां शिक्षा हमें जीवन निर्वाह की कला सिखाती है, वही संस्कार हमें जीवन निर्माण की कला सिखाते हैं|
      बच्चे कच्ची मिट्टी के मानिंदे हैं| हमें उनके साथ कुशल कुमार की भूमिका निभानी चाहिए| बच्चे सिखाने से नहीं सीखते, बच्चे देखकर सीखते हैं| यदि हमें अपनी संतानों से सु- आचरण की उम्मीद करनी है, तो हमें उन्हें सु-संस्कार देने होंगे| हमें आचरणवान और संस्कारवान होना होगा| संस्कार जीवन में वही अभिभावक दे सकते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सु-आचरण को अपनाया है| जैसे प्रज्वलित दीपक ही बुझे हुए दीपक को जलाने की क्षमता रखता है|
         जैन मुनि श्री तरुण सागर जी का कहना है जीवन का निर्वाह सरल है| पशु पक्षी भी इसी प्रकार से जीवन का निर्वाह कर लेते हैं, पेट भर लेते हैं, जिंदगी जी लेते हैं, लेकिन पृथ्वी पर एकमात्र मनुष्य भी ऐसा प्राणी है, जो जीवन निर्वाह के साथ साथ जीवन निर्माण करने की पात्रता रखता है| इसलिए यदि वह जीवन निर्माण की दिशा में नहीं बढ़ता, तो उसमें और पशु में कोई अंतर नहीं रह जाता| उनके द्वारा कहे गए सुविचार कितने सही है|
      हम जानते हैं कि पत्ता सूखने के बाद मुड़ता नहीं है, मोड़ने पर टूट जाता है| वैसे ही एक निश्चित उम्र गुजरने के बाद बच्चों को संस्कार दे पाना कठिन ही नहीं होता, असंभव भी जान पड़ता है| यदि सच में हम चाहते हैं कि हमारी संतान बुढ़ापे में हमारी लाठी बने, तो इसके लिए अभी से आपको अपने प्रति उनके क्या कर्तव्य होना चाहिए, यह बात अपने बूढ़े मां-बाप की सेवा करके उन्हें अनुभव करवानी होगी| आज यदि आप माता-पिता या घर के बुजुर्गों की उंगली पकड़कर उन्हें मंदिर, गुरुद्वारे ले जाओगे, तभी तो कल जब आप बूढ़े होंगे, तो आपके बेटा-बेटी, पौत्र-पात्री आपका हाथ पकड़कर आपको मंदिर, गुरुद्वारे ले जायेंगे| संसार तो प्रतिध्वनि मात्र है, यहां तो वही मिलता है जो हम लुटाते हैं| आनंद लुटायेंगे, तो आनंद मिलेगा| दुख बांटेंगे, तो दुख मिलेगा| खुशी बाटेंगे, तो खुशी मिलेगी। संस्कार बांटते चलो, ताकि नई पीढ़ी में संस्कार पनपाते चलें| किसी ने सच ही कहा है: बोया पेड़ खजूर का, आम कहां से होय....!!!
          तो आओ हम सब मिलकर समाज को एक संस्कारित पीढ़ी देने का प्रयास में सहभागी बने और भगवान महावीर पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल के साथ जुड़े !!
                                                            आपका अपना -- नरेंद्र कुमार जैन